Honey in the Quran: Importance, Benefits, and Islamic Usage

अल्लाह तआला ने अपनी कई नेमतों का ज़िक्र क़ुरआन में किया है, जिनमें शहद(Honey in the Quran: Importance, Benefits, and Islamic Usage) एक ख़ास मक़ाम रखता है। मुसलमानों ने हमेशा शहद को सिर्फ़ एक ख़ुराक नहीं बल्कि इलाज और बरकत वाली नेमत के तौर पर अपनाया है। यह सिर्फ़ एक मीठा पेय नहीं, बल्कि रूहानी और जिस्मानी फ़ायदे देने वाला अल्लाह का तोहफ़ा है।

Honey in the Qur’an & Sunnah

सूरह अन-नहल (16:68-69)

अरबी:
وَأَوْحَىٰ رَبُّكَ إِلَى ٱلنَّحْلِ أَنِ ٱتَّخِذِى مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًا وَمِنَ ٱلشَّجَرِ وَمِمَّا يَعْرِشُونَ
ثُمَّ كُلِى مِن كُلِّ ٱلثَّمَرَاتِ فَٱسْلُكِى سُبُلَ رَبِّكِ ذُلُلًا ۚ يَخْرُجُ مِنۢ بُطُونِهَا شَرَابٌ مُّخْتَلِفٌ أَلْوَٰنُهُۥ فِيهِ شِفَآءٌ لِّلنَّاسِ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ

तर्जुमा:
“और तुम्हारे रब ने शहद की मक्खी को वह़ी की कि तू पहाड़ों, पेड़ों और जो लोग बनाएं उनमें अपने घर बना। फिर हर तरह के फलों से खा, और अपने रब के आसान रास्तों पर चल। उनके पेट से एक पेय निकलता है, जो अलग-अलग रंग का होता है, उसमें इंसानों के लिए शिफ़ा है। इसमें ग़ौर करने वालों के लिए निशानी है।”

  1. शहद की मक्खी को अल्लाह ने सीधा रहनुमाई दी।
  2. शहद को “शराबुन मुख्तलिफ़ुन अल्वानुहु” यानी अलग-अलग रंग के पेय के तौर पर बताया।
  3. “फ़ीहि शिफ़ाउन लिन-नास” यानी इंसानों के लिए शिफ़ा का एलान।
  1. पेट की बीमारी का इलाज
    • एक शख़्स ने रसूलुल्लाह ﷺ से अपने भाई के पेट दर्द की शिकायत की। आपने फ़रमाया: “उसे शहद पिलाओ।” यह बात तीन बार दोहराई, फिर फ़रमाया: “अल्लाह ने सच्च कहा और तुम्हारे भाई का पेट झूठा साबित हुआ।”(बुख़ारी, मुस्लिम)
  2. इलाज के तीन तरीके
    • रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “इलाज तीन चीज़ों में है: शहद का घूंट, हिजामा (कपिंग), और आग से दागना — लेकिन मैं अपनी उम्मत को दागने से मना करता हूँ।”(बुख़ारी)
  3. मीठा और शहद पसंद करना
    • हदीस में आता है कि रसूलुल्लाह ﷺ मीठा और शहद पसंद करते थे। – (बुख़ारी)
  1. रूहानी पहलू
    • तौहीद की निशानी: शहद की मक्खी का निज़ाम और उसका इलाज देना अल्लाह की कुदरत की दलील है।
    • शुक्र और ग़ौर: शहद इंसान को अल्लाह की नेमतों पर शुक्रगुज़ार बनाता है।
    • सुन्नत लाइफ़स्टाइल: शहद का इस्तेमाल नबी ﷺ की आदत के मुताबिक़ है।
  2. तारीखी इस्तेमाल
    • सहाबा और सलफ़ ने शहद को खाने, मीठा करने और इलाज में इस्तेमाल किया।
    • तिब्ब-ए-नबवी और इस्लामी तिब्ब में शहद का ज़िक्र मौजूद है।
  1. तफ़सीर इब्न कसीर: शहद के अलग-अलग रंग, स्वाद और फ़ायदे का ज़िक्र, और “शिफ़ा” को आम और ख़ास दोनों इलाज के तौर पर समझाया।
  2. इमाम क़ुर्तुबी: आयत का लफ़्ज़ आम है, यानी बहुत सी बीमारियों में फ़ायदा, लेकिन हर मर्ज़ में हर इंसान के लिए नहीं।
  3. इब्नुल क़य्यिम: शहद की मिक़दार, तरीक़ा और दूसरी चीज़ों के साथ मिलाकर इस्तेमाल के बारे में तफ़सील दी, जैसे काला ज़ीरा और पानी के साथ।
  1. पेट और हाज़मे के लिए अच्छा – हदीस में पेट दर्द का इलाज बताया गया।
  2. ज़ख़्म और इंफ़ेक्शन में फ़ायदा – मेडिकल ग्रेड शहद ज़ख़्म और जलन में लगाया जाता है।
  3. खाँसी और गले की खराश – गरम पानी, नींबू या अदरक के साथ पीना फ़ायदेमंद।
  4. एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर – बदन को मज़बूत और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  5. फ़ौरन एनर्जी – थकान दूर करने और तवाज़ुन बनाए रखने में मददगार।
  1. सुबह गुनगुने पानी में 1-2 चम्मच शहद घोलकर पीना।
  2. काले ज़ीरे के साथ मिलाकर खाना।
  3. चीनी की जगह चाय, दूध में इस्तेमाल करना।
  4. मेडिकल ग्रेड शहद छोटे ज़ख़्म पर लगाना।
  5. एहतियात:
    • 1 साल से छोटे बच्चों को शहद न दें।
    • डायबिटीज़ के मरीज़ डॉक्टर से मशवरा लें।
    • एलर्जी होने पर इस्तेमाल रोक दें।
  1. तिब्ब-ए-नबवी: शहद को कई अमराज़ में मुफीद बताया गया है, साथ में नियत और दुआ का ज़िक्र।
  2. तफ़सीर: उलमा ने इसे अल्लाह की क़ुदरत और रहमत की निशानी बताया।

शहद क़ुरआन और हदीस में ख़ास तौर पर शिफ़ा वाली नेमत के रूप में ज़िक्र किया गया है। इसे ईमान, तवाज़ुन और शुक्र के साथ इस्तेमाल करना न सिर्फ़ बदन बल्कि रूह के लिए भी फ़ायदेमंद है।

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