Astaghfirullah Rabbi Min Kulli Dua: In Arabic, Hindi, English. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम, अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाहि वबरकातुह, मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों और बहनों, ये अस्तग़फ़िरुल्लाह की दुआ है,जिसका मतलब है “मैं अल्लाह से माफ़ी मांगता हूँ”. अस्तग़फ़िरुल्लाह की दुआ को हिंदी,अरबिक, इंग्लिश तर्जुमा सीखेंगे. इंशाल्लाह अल्लाह हमने इस्को याद कर अमल करनेकी तौफीक अता करे, अमीन.
Astaghfirullah Dua in Arabic
أسْتَغْفِرُ اللهَ رَبي مِنْ كُلِ ذَنبٍ وَأتُوبُ إلَيهِ
Astaghfirullah Dua in Hindi
अस्तागफिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्ली जाम्बियों वा अतुबु इलैह
Astaghfirullah Dua in Roman English
Astagfirullah Rabbi Min Kulli Jambiyon wa Atubu Ilaih
Astaghfirullah Dua Tarjuma in Hindi
मै अल्लाह से अपने गुनाहों की बख्शीस मांगता हूँ जो मेरा रब है, और मै उसी की तरफ रुजू करता हूँ |
Astaghfirullah Dua in English
I seek forgiveness for my sins from Allah who is my Lord, and I turn to Him.
अस्तग़फ़िरुल्लाह की फ़ज़ीलत इस्लामी किताबों के हवाले से
अस्तग़फ़िरुल्लाह (استغفر الله), जिसका मतलब है “मैं अल्लाह से माफ़ी मांगता हूँ“, इस्लाम में बहुत ताक़तवर वाक्य है। इसके नियमित उच्चारण के कई रूहानी, मानसिक और भौतिक फ़ायदे हैं। नीचे कुछ प्रमुख इस्लामी किताबों के हवाले से अस्तग़फ़िरुल्लाह (astaghfirullah rabbi min kulli)की फ़ज़ीलत (فضیلت) दी जा रही है:
क़ुरआनी हवालात
- सूरा नूह (71:10-12):
- “और कहा, ‘अपने रब से माफ़ी मांगो। निस्संदेह वह बड़ा माफ़ करने वाला है। वह तुम पर आसमान से मूसलधार बारिश बरसाएगा और तुम्हारे माल और औलाद में बढ़ोतरी करेगा और तुम्हारे लिए बाग़ात प्रदान करेगा और तुम्हारे लिए नहरें प्रदान करेगा।”
- यह आयत बताती है कि माफ़ी मांगने से माली और रूहानी बरकतें मिलती हैं, जैसे बारिश, दौलत, औलाद, और बाग़-बगीचे।
- सूरा हूद (11:3):
- “और कहा, ‘अपने रब से माफ़ी मांगो और उसकी तरफ़ लौट आओ, वह तुम्हें अच्छा सामान देगा एक निश्चित अवधि तक और हर नेकी करने वाले को उसकी नेकी का इनाम देगा…”
- यह आयत बताती है कि माफ़ी मांगने से अच्छे सामान और इनाम की गारंटी मिलती है।
- सूरा अल-अन्फ़ाल (8:33):
- और अल्लाह उन्हें सज़ा नहीं देगा जबकि वे माफ़ी मांग रहे हैं।
- ”यह आयत बताती है कि माफ़ी मांगने से सज़ा से बचाव होता है।
हदीस के हवालात:
- सहीह अल-बुख़ारी:
- पैग़म्बर मुहम्मद (PBUH) ने फ़रमाया: “अल्लाह की क़सम, मैं रोज़ाना अल्लाह से सत्तर से ज़्यादा बार माफ़ी मांगता हूँ।” (बुख़ारी, हदीस 6307).
- यह हदीस माफ़ी मांगने की नियमितता और उसकी अहमियत को बताती है, जैसा कि ख़ुद पैग़म्बर मुहम्मद (PBUH) करते थे।
- सुनन अबू दाउद और इब्न माजा:
- पैग़म्बर मुहम्मद (PBUH) ने फ़रमाया: “जो कोई नियमित रूप से माफ़ी मांगता है, अल्लाह उसे हर मुश्किल से निकालने का रास्ता बनाएगा और उसे हर चिंता से राहत देगा, और उसे वहाँ से रोज़ी देगा जहाँ से उसे उम्मीद भी नहीं होगी।” (अबू दाउद, हदीस 1518; इब्न माजा, हदीस 3819).
- यह हदीस माफ़ी मांगने के व्यापक फ़ायदों को बताती है, जिसमें मुश्किलों से राहत और अप्रत्याशित रोज़ी शामिल हैं।
- मुसनद अहमद:
- पैग़म्बर मुहम्मद (PBUH) ने फ़रमाया: “जो कोई निरंतर माफ़ी मांगता है, अल्लाह उसे हर मुश्किल से निकालने का रास्ता बनाएगा और उसे हर चिंता से राहत देगा, और उसे वहाँ से रोज़ी देगा जहाँ से उसे उम्मीद भी नहीं होगी।” (मुसनद अहमद, हदीस 2234).
- यह हदीस भी माफ़ी मांगने के ठोस फ़ायदों पर ज़ोर देती है।