Darood e Taj PDF in Hindi, Arabic, English with Tarjuma.(दरूद ए ताज) दरूद ए ताज इस्लाम में एक अत्यंत प्रभावशाली और मशहूर दरूद शरीफ़ है, जो नबी-ए-करीम हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शान में पढ़ा जाता है। इस दरूद को पढ़ने से इंसान पर अल्लाह की रहमतें और बरकतें नाज़िल होती हैं। दरूद ए ताज का पाठ हर तरह की परेशानियों, मुश्किलात और बला से निजात पाने का ज़रिया माना जाता है। यह न केवल दीन और ईमान को मज़बूत करता है, बल्कि रूहानी शांति और दिली सुकून भी प्रदान करता है।
इस दरूद शरीफ़ की खासियत यह है कि इसे पढ़ने वाले पर फरिश्तों की रहमत होती है, और अल्लाह उसकी दुआओं को कुबूल करता है। दरूद ए ताज का नियमित पाठ करने से इंसान दुनियावी और आख़िरत की भलाइयों को हासिल करता है, और अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की मोहब्बत में इज़ाफा होता है।
इस्लामिक विद्वानों का मानना है कि दरूद ए ताज की बरकत से इंसान की सभी हाजतें पूरी होती हैं, और यह हर बला और आफत से महफूज़ रखता है। इसे खासकर मुश्किल समय और हाजतों के लिए पढ़ा जाता है।
Darood Taj(Salawat Taj) In Arabic
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ سَيِّدِنَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدٍ ❁ صَاحِبِ التَّاجِ وَالْمِعْرَاجِ وَالْبُرَاقِ وَالْعَلَمِ ❁ دَافِعِ الْبَلآءِ وَالْوَبَآءِ وَالْقَحْطِ وَالْمَرَضِ وَالْأَلَمِ ❁ اِسْمُهُ مَكْتُوبٌ مَرْفُوعٌ مَشْفُوعٌ مَنْقُوشٌ فِي اللَّوْحِ وَالْقَلَمِ ❁ سَيِّدِ الْعَرَبِ وَالْعَجَمِ ❁ جِسْمُهُ مُقَدَّسٌ مُعَطَّرٌ مُطَهَّرٌ مُنَوَّرٌ فِي الْبَيْتِ وَالْحَرَمِ ❁ شَمْسِ الضُّحَى ❁ بَدْرِ الدُّجَى ❁ صَدْرِ الْعُلَى ❁ نُورِ الْهُدَى ❁ كَهْفِ الْوَرَى ❁ مِصْبَاحِ الظُّلَمِ ❁ جَمِيلِ الشِّيَمِ ❁ شَفِيعِ الْأُمَمِ ❁ صَاحِبِ الْجُودِ وَالْكَرَمِ ❁ وَاللهُ عَاصِمُهُ ❁ وَجِبْرِيلُ خَادِمُهُ ❁ وَالْبُرَاقُ مَرْكَبُهُ ❁ وَالْمِعْرَاجُ سَفَرُهُ ❁ وَسِدْرَتُ الْمُنْتَهَى مَقَامُهُ ❁ وَقَابَ قَوْسَيْنِ مَطْلُوبُهُ ❁ وَالْمَطْلُوبُ مَقْصُودُهُ ❁ وَالْمَقْصُودُ مَوْجُودُهُ ❁ سَيِّدِ الْمُرْسَلِينَ ❁
خَاتِمِ النَّبِيِّينَ ❁ شَفِيعِ الْمُذْنِبِينَ ❁ أَنِيسِ الْغَرِيبِينَ ❁ رَحْمَةٍ لِلْعَالَمِينَ ❁ رَاحَةِ الْعَاشِقِينَ ❁ مُرَادِ الْمُشْتَاقِينَ ❁ شَمْسِ الْعَارِفِينَ ❁ سِرَاجِ السَّالِكِينَ ❁ مِصْبَاحِ الْمُقَرَّبِينَ ❁ مُحِبِّ الْفُقَرَاءِ وَالْغُرَبَاءِ وَالْمَسَاكِينِ ❁ سَيِّدِ الثَّقَلَيْنِ ❁ نَبِيِّ الْحَرَمَيْنِ ❁ إِمَامِ الْقِبْلَتَيْنِ ❁ وَسِيلَتِنَا فِي الدَّارَيْنِ ❁ صَاحِبِ قَابَ قَوْسَيْنِ ❁ مَحْبُوبِ رَبِّ الْمَشْرِقَيْنِ وَالْمَغْرِبَيْنِ ❁ جَدِّ الْحَسَنِ وَالْحُسَيْنِ ❁ مَوْلَانَا وَمَوْلَى الثَّقَلَيْنِ ❁ أَبِي الْقَاسِمِ مُحَمَّدِ بْنِ عَبْدِ اللهِ ❁ نُورٍ مِنْ نُورِ اللهِ ❁ يَا أَيُّهَا الْمُشْتَاقُونَ بِنُورِ جَمَالِهِ ❁ صَلّوُا عَلَيْهِ وَآلِهِ وَأَصْحَابِهِ وَسَلِّمُوا تَسْلِيمًا
Darood E Taj(Salawat Taj) In Hindi
बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम
अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्यिदिना व मौलाना मोहम्मदीन, साहिबित्त ताज़े वल मेराजे वल बुर्राके वल अलम दाफेईल बलायें वल वबाई वल कहति वल मर्ज़ी वल अलम, इस्मोहु मक़तूबुम मरफ़ूउम मशफ़ुउम मनकुसुन फ़ील लौही वल क़लम, सय्यिदिल अरबी वल अज़म जिस्मोहु मुक़द्दसुन मुअत्तरुन मुतहहरुन मुनव्वरुन फ़ील बैति वल हरम, शमशुद्दुहा बदरुददुजा सदरिलउला नूरीलहुदा कहफ़िलवरा मिस्बाहिज़ ज़ुलम जमिलिस्सीयम शफ़ीईल उमम सहिबिल जुदी वल करम, वल्लाहु आसिमोहु जिब्रीलो खादिमुह वल बुर्राको मर्कबुहु वल मेराजो सफ़रोहु व सिदरातुल मुंतहा मकामोहु व क़ाबा क़व्सैनी मतलूबुह वल मतलुबुह मक़सुदुह वल मक़सुदुह मोजूदुह, सय्यिदिल मुरसलीन ख़ातिमिन नबीय्यीन शफ़ीईल मुज़नबीन अनिसिल ग़रीबिन
रहमतूल्लील आलमीन राहतिल आशेक़ीन मुरादिल मुश्ताक़ीन शमशील आरिफ़िन, सिराजिस सालिकीन मिस्बाहिल मुक़र्रबीन मोहिब्बुल फुक़राए वल गुरबाए वल मसाक़ीन सय्यिदिस शक़लैन नबिय्यील हरमैन इमामिल किब्लतैन, वसिलतना फिद्दारैन साहिबे क़ाबा कौसेन महबूबे रब्बुल मशरीकैन व मग़रिबैन, जद्दील हसनी वल हुसैन मौलाना व मौलस शकलैन, अबिल क़ासिमि मोहम्मद इब्ने अब्दुल्लाह नूरुममिन नूरिल्लाह,या आय्योहल मुश्ताक़ुन बिनुरी जमालेही सल्लु अलैही व आलेही व अस्हाबेहि व सल्लीमो तस्लीमा.
Darood Taj(Salawat Taj) In Hindi Trajuma
या ईलाही हमारे आक़ा व मौला मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर रहमत नाज़िल फ़रमा ।जो साहिबे ताज़ और मेराज़ और बुर्राक वाले और झंडे वाले है जिनके वसीले से बला वबा और क़हत (सुखा) मर्ज़ और दुख दूर होता है आप ﷺ का नाम नबी लिखा गया, बुलंद किया गया, क़बूले शफ़ाअत किया गया और लोह व क़लम में गुदा हुवा है।
आप अरब व अज़म के सरदार है आप ﷺ का जिस्म निहायत मुक़द्दस ख़ुशबूदार पाकीज़ा और खाना क़ाबा व हरम पाक़ में मुनव्वर है आप ﷺ चास्तगाह के आफ़ताब, अँधेरी रात के माहताब, बुलन्दियों के सदर नसीन, राहे हिदायत के नूर, मख़लूक़ात के जाहपनाह, अँधेरो के चराग़ नैक इतवार के मालिक़, उम्मतियों के बख़्शवाने वाले, बख़्शिश व करम से मोसूफ़ है।
अल्लाह तआला आप ﷺ का निगहबान, जिब्रील आप ﷺ के ख़िदमत गुज़ार, बुर्राक़ आप ﷺ की सवारी, और मेराज़ आप ﷺ का सफर, और सिदरतुल मुंतहा आप ﷺ का मक़ाम और क़रीबे ख़ुदावन्दी में क़ाबा कौसेन का मरतबा, आप ﷺ मतलूब है, और मतलूब ही आप ﷺ का मक़सूद है, और मक़सूद आप ﷺ को हासिल है आप ﷺ रसूलों के सरदार है,
नाबियों में सबसे आखिर, गुनाहगारों को बख़्शवाने वाले, मुसाफिरों के ग़मख़्वार दुनियाँ जहान के लिये रहमत, आशिक़ों की राहत, मुश्ताक़ों की मुराद, ख़ुदा बशनासो के आफ़ताब राहे ख़ुदा पर चलने वालों के चराग़, मुक़रीबो के रहनुमा, मोहताजों, गरिबों और मिस्कीनों से मोहब्बत रखने वाले जिन्नात और इंसान के सरदार, हरम शरीफ़ के नबी, दोनों कबीलों (बैतूल मुक़द्दस व क़ाबा) के पेशवा और दुनियाँ व आख़िरत में हमारा वसीला है, वह मरतबा जो क़ाबा कौसेन पर फ़ाइज़ है दो मशरीक़ो और दो मग़रीबों के रब के मेहबूब है हज़रत इमाम हसन व हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु के जद्दे अमज़द, और तमाम रूह के आक़ा है ।
अबुल क़ासिम मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह रदिअल्लाहु अन्हु, जो अल्लाह तआला के नूर में से एक नूर है ऐसे नूरे मोहम्मद ﷺ के मुश्ताक़ों आप ﷺ पर और आप ﷺ की आल पर और आप ﷺ के अस्हाब पर दुरूद व सलाम भेजो जो भेजने का हक़ है ।
Darood E Taj In Roman English
Allahumma salli `ala sayyidina wa mawlana Muhammadin sahibit taji wal-mi`raji wal-buraqi wal-`alam. Dafi` al-bala’i wal-waba’i wal-qahti wal-maradi wal-alam. ismuhu maktubum marfu`um mashfu`um manqushun fil lawhi wal-qalam. Sayyidil `arabi wal-`ajam. Jismuhu muqaddasum mu`attarum mutahharum munawwarun fil-bayti wal-haram. Shamsid duha badrid duja sadril `ula nuril huda kahfil wara misbahiz zulam. Jamilish shyami shafi` il-umam. Sahibil judi wal-karam. Wallahu `asimuhu. Wa jibrilu khadimuhu. Wal-buraqu markabuhu. Wal-mi`raju safaruhu wa sidratu al-muntaha maqamuhu. Wa qaba qawsayni matlubuhu. Wal-matlubu maqsuduhu wal-maqsudu mawjuduh.
Sayyidil mursalin. Khatimin nabiyyeena shafi`il mudhnibin. Anisil gharibeena rahmatil lil `alamin. Rahatil `ashiqeen. Muradil mushtaqeen. Shamsil `arifeen. Sirajis salikeen Misbahil muqarrabeen. Muhibbil fuqara’ay wal-ghuraba’ay wal-masakeen. Sayyidith thaqalaynay nabiyyil haramayn. imamil qiblatayn. Waseelatina fid darayn. Sahibi qaba qawsayni mahbubi rabbil mashriqayni wal-maghribayn. Jadd al-hasani wal-husayn mawlana wa mawlath thaqalayn Abil Qasimi MUHAMMAD dibni `Abdillahi nurinm min nurillahi yaa ayyuhal mushtaquna bi nuri jamalihi sallu `alayhi wa alihi wa ashabihi wa sallimu taslima.
Darood E Taj(Salawat Taj) In English Translation
O Allah, send blessings and Peace upon our Master and Patron Muhammad, The Owner of the Crown and the Ascent and the Buraq and the Standard, The Repeller of Affliction and Disease and Drought and Illness and Pain. His name is written on high, served and engraved in the Tablet and the Pen, The Leader of All, Arabs and non-Arabs, Whose body is sanctified, fragrant, and pure, Illumined in the House and the Haram, The Sun of Brightness, the Full Moon in Darkness, The Foremost One in the Highest Fields, the Light of Guidance, The Cave of Refuge for Mortals, the Lamp That Dispels the Night, The Best-Natured One, The Intercessor of Nations, The Owner of Munificence and Generosity.
Allah is his Protector, Gabriel is his servant. The Buraq is his mount, the Ascent is his voyage, The Lote-Tree of the Furthermost Boundary is his station, Two Bow-Lengths or Nearer is his desire, His desire is his goal, and he has found his goal, The Master of the Messengers, the Seal of the Prophets, The intercessor of sinners, the friend of the strangers, The Mercy for the Worlds, The rest of those who burn with love, the goal of those who yearn, The sun of knowers, the lamp of travellers, The light of Those Brought Near, The friend of the insufficient and destitute, The master of Humans and Jinn,
The Prophet of the Two Sanctuaries, The Imam of the Two Qiblas, Our Means in the Two Abodes, The Owner of Qaba Qawsayn, The Beloved of the Lord of the Two Easts and the Two Wests, The grandfather of al-Hasan and al-Husayn, Our patron and the patron of Humans and Jinn: Abu al-Qasim MUHAMMAD Son of `Abd Allah, A light from the light of Allah. O you who yearn for the light of his beauty, Send blessings and utmost greetings of peace Upon him and upon his Family.
Benefits of Reciting Darood E Taj
यह दरूद शरीफ़ नबी-ए-करीम हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की शान में पढ़ा जाता है और इसका खास महत्त्व है। दरूद ए ताज के कुछ फायदे इस प्रकार हैं:
- रूहानी सकून और सुकून-ए-कल्ब
- दरूद ए ताज पढ़ने से दिल को सुकून मिलता है और इंसान के दिल में नूरानी रोशनी का एहसास होता है। यह इबादत रूहानी ताकतों को मजबूत करती है और दिल से चिंता और परेशानियों को दूर करती है।
- मुसिबतों और परेशानियों से निजात
- जो शख्स दरूद ए ताज को नियमित रूप से पढ़ता है, अल्लाह उसकी सभी मुश्किलात को हल करता है और उसे हर तरह की परेशानी से महफूज़ रखता है।
- शिफा और बला से हिफाजत
- दरूद ए ताज को बीमारी से शिफा के लिए भी पढ़ा जाता है। यह शरीफ़ दरूद हर तरह की बला और आफत से बचाने के लिए फायदेमंद माना जाता है। बीमारी में इसे पढ़ने से अल्लाह की रहमत से सेहत नसीब होती है।
- रिज़्क़ में बरकत
- दरूद ए ताज पढ़ने से इंसान के रिज़्क़ में बरकत होती है और रोज़ी-रोटी के रास्ते खुलते हैं। यह दरूद दुनियावी जरूरतों को पूरा करने और अल्लाह की रहमत से भरा जीवन बिताने का ज़रिया बनता है।
- अल्लाह का क़रीबी बनना
- यह दरूद पढ़ने वाला अल्लाह तआला का क़रीबी बन जाता है, क्योंकि यह नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर भेजी गई सलामती है। अल्लाह अपने बंदों को उनकी नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से मोहब्बत के कारण इनाम देता है और उन पर अपनी रहमत नाज़िल करता है।
- मौजूदगी में फरिश्तों का आना
- इस दरूद को पढ़ने से इंसान की जगह फरिश्ते नाज़िल होते हैं और वह जगह अल्लाह की रहमत से भर जाती है। फरिश्ते उस शख्स के लिए दुआएं करते हैं और उसकी हिफाज़त करते हैं।
- दुआओं की कुबूलियत
- दरूद ए ताज पढ़ने से इंसान की दुआएं कुबूल होती हैं और उसे अल्लाह के दरबार में मक़बूलियत हासिल होती है। यह दरूद हर जायज़ हाजत को पूरा करने का बेहतरीन ज़रिया है।
Time to Pray Darood Taj(Salawat Taj)
दरूद ए ताज पढ़ने का कोई खास समय तय नहीं है, आप इसे दिन या रात के किसी भी समय पढ़ सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग इसे विशेष परिस्थितियों में पढ़ते हैं, जैसे:
- फजर या इशा की नमाज़ के बाद: इन वक्तों में पढ़ने से इसे और ज्यादा फज़ीलत हासिल होती है।
- जुम्मा (शुक्रवार) के दिन: जुम्मा का दिन इस्लाम में खास बरकत वाला माना जाता है, और इस दिन दरूद पढ़ने की फज़ीलत भी ज्यादा होती है।
- मुश्किल समय में या हाजत के वक्त: अगर आप किसी परेशानी में हैं या किसी खास हाजत के लिए दरूद ए ताज पढ़ रहे हैं, तो इसे किसी एकांत और पाक माहौल में पढ़ें।
दरूद ए ताज पढ़ने का तरीका
इस दरूद शरीफ़ को दिन में कम से कम 11 बार या 100 बार पढ़ना चाहिए। इसे रोज़ाना फ़ज्र और इशा की नमाज़ के बाद पढ़ने की सलाह दी जाती है। किसी खास हाजत के लिए इसे एकांत में बैठकर पढ़ें और अल्लाह से अपनी दुआएं मांगें।