Durood e Ibrahim: In Hindi, Roman English, Arabic. एक दुरूद है जो कुरान में आता है। यह दुरूद प्रोफ़ेसर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के ऊपर दरूद भेजने के लिए है। यह आयत कुरान में सूरह आल-इमरान की आयत नंबर 3:33 में मिलती है।इसे दुरूद इ ब्राहीम के रूप में भी जाना जाता है।
Durood E Ibrahim In Arabic
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ، اللَّهُمَّ بَارِكَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
Durood E Ibrahim In Hindi
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा सललेता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नका हमीदुम मजीद अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद.
Durood E Ibrahim In Roman English
Allaahumma salli ‘alaa Muhammadin wa ‘alaa ‘aali Muhammadin, kamaa sallayta ‘alaa ‘Ibraaheema wa ‘alaa ‘aali ‘Ibraaheema, ‘innaka Hameedun Majeed. Allaahumma baarik ‘alaa Muhammadin wa ‘alaa ‘aali Muhammadin, kamaa baarakta ‘alaa ‘Ibraaheema wa ‘alaa ‘aali ‘Ibraaheema, ‘innaka Hameedun Majeed
Durood E Ibrahim In Hindi Tarjuma
ऐ अल्लाह, मुहम्मद पर और मुहम्मद के आल(खानदान) पर अपना फज़ल व करम फरमा, जैसा कि आपने इब्राहिम पर और इब्राहिम के आल(खानदान) पर अपना फज़ल व करम फरमाया, बेशक आप काबिले तारीफ हैं, सबसे शानदार हैं। ऐ अल्लाह, मुहम्मद पर और मुहम्मद के आल(खानदान) पर बरकत नाजिल फरमा जैसा कि आपने इब्राहिम और इब्राहिम के आल(खानदान) पर बरकत नाजिल फरमाई, बेशक आप काबिले तारीफ हैं, सबसे शानदार हैं.
Durood E Ibrahimi In English
O Allah send peace on Prophet Muhammad (P.B.U.H) and to the family of Prophet Muhammad (P.B.U.H) as you sent peace on Prophet Ibrahim (A.S) and the family of Prophet Ibrahim (A.S) Indeed, you are praiseworthy and glorious. O Allah, bless the Prophet Muhammad (P.B.U.H) and the family of Prophet Muhammad (Peace Be Upon Him) as you blessed Prophet Ibrahim (A.S) and the family of Prophet Ibrahim (A.S) Indeed, you are praiseworthy and glorious.
दुरूद ए इब्राहीम के फायदे
- गुनाहों की माफी और मक़बूलियत
- दुरूद ए इब्राहीम पढ़ने से इंसान के छोटे और बड़े गुनाह माफ हो जाते हैं। अल्लाह तआला उस शख्स पर रहमत नाज़िल करता है, और उसकी दुआओं को कुबूल करता है। हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, “जो मुझ पर एक बार दुरूद भेजेगा, अल्लाह उस पर दस बार रहमतें भेजेगा।” (सहीह मुस्लिम)
- आख़िरत में शिफ़ाअत (सिफारिश) का हक़
- हदीस के मुताबिक, जो शख्स नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर दुरूद भेजता है, उसे आख़िरत में नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शिफ़ाअत नसीब होती है। अल्लाह उसके लिए जन्नत के दरवाजे खोल देता है। (तिरमिज़ी)
- दुनियावी और रूहानी बरकतें
- दुरूद ए इब्राहीम पढ़ने से इंसान को दुनियावी फायदे के साथ-साथ रूहानी बरकतें भी मिलती हैं। उसकी रोज़ी में बरकत होती है और उसकी ज़िंदगी में सुकून और खुशहाली आती है। अल्लाह उसकी दुआओं को कुबूल करता है और उसे हर मुश्किल से निजात देता है।
- दुश्मनों से हिफ़ाज़त और बुरी नज़र से बचाव
- जो शख्स नियमित रूप से दुरूद ए इब्राहीम पढ़ता है, अल्लाह उसे हर तरह की बुराई, दुश्मनों की चाल और बुरी नज़र से महफूज़ रखता है। यह दुरूद इंसान के चारों तरफ़ एक हिफाज़ती किला बनाता है, जिससे वह हर नुकसान और मुसीबत से बचा रहता है।
- फरिश्तों की रहमत
- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले इंसान पर फरिश्ते रहमतें भेजते हैं और उसके लिए अल्लाह से रहमत और बरकत की दुआ करते हैं। यह एक ऐसा अमल है, जिसे फरिश्ते भी पसंद करते हैं और अल्लाह के दरबार में इसकी बहुत क़द्र है। (सहीह बुखारी)
- कब्र के अज़ाब से निजात
- हदीस में आता है कि जो इंसान दुरूद ए इब्राहीम का नियमित रूप से पाठ करता है, उसे कब्र के अज़ाब से निजात मिलती है। यह आख़िरत में इंसान के लिए सुकून और रहमत का कारण बनता है।
- अल्लाह की खास रहमत और सुकून
- जो शख्स दिन में 100 बार या ज्यादा दुरूद ए इब्राहीम पढ़ता है, अल्लाह उसकी ज़िंदगी में सुकून और रहमत नाज़िल करता है। उसकी परेशानियाँ दूर होती हैं, और उसकी तमाम हाजतें पूरी होती हैं। नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, “तुम्हारा मुझ पर भेजा गया दुरूद अल्लाह के दरबार में तुम्हारी परेशानियों को हल करने का ज़रिया बनेगा।” (अबू दाऊद)
- आख़िरत में ऊँचा मकाम
- दुरूद ए इब्राहीम पढ़ने वाला शख्स आख़िरत में ऊँचे मकाम पर होगा। अल्लाह तआला उसे जन्नत में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के करीब जगह देगा और उसे अपनी रहमत के साए में रखेगा। (तिरमिज़ी)
- दुआओं की कुबूलियत
- दुरूद ए इब्राहीम पढ़ने से दुआओं की कुबूलियत बढ़ती है। जब भी कोई इंसान अल्लाह से कोई हाजत मांगे और उस हाजत से पहले और बाद में दुरूद ए इब्राहीम पढ़े, तो उसकी दुआ कुबूल होने के ज्यादा आसार होते हैं। (तिरमिज़ी)
- मुलाकात का जरिया
- जो व्यक्ति नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर ज्यादा से ज्यादा दुरूद भेजता है, उसे कयामत के दिन नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की मुलाकात का मौका मिलेगा। (इब्न माजा)