Surah An Nas: In Hindi, Arabic, Roman English with Tarjuma. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम, अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाहि वबरकातुह, मेरे प्यारे इस्लामी भाई बहनो, आज हम सूरह अन – नास को तर्जुमा के साथ सीखीगे, सूरह अन-नास 114वीं सूरह है और कुरान की अंतिम सूरह है। आए अल्लाह से दुआ करते हैं, हमें इसको याद करने की और समझने की तौफीक आता करे।

Surah An Nas in Arabic
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلنَّاسِ
مَلِكِ النَّاسِ
إِلَٰهِ النَّاسِ
مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِالَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ
مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ
Surah An Nas in Hindi
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
कुल् आऊज़ु बिरब्बिन्नास
मलिकिन्नास
इलाहिन्नास
मिन शर्रिल वसवासिल ख़न्नास
अल्लज़ी युवसविसु फी सुदूरिन्नास
मिनल जिन्नति वन-नास
Surah An Nas in Roman English
Bismillah hir-Rahman nir-Raheem
Qul a’uzu birabbin-naas
Malikin-naas
Ilahin-naas
Min sharri-lwaswasil-khannas
Alladhi yuwaswisu fee sudurin-naas
Minal-jinnati wan-naas
Surah An Nas Tarjuma in Hindi
अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है।
लोगों के मालिक की,
लोगों के पूजनीय की,
उस छिपकर कानों में फुसफुसाने वाले के बुरे से,
जो लोगों के दिलों में फुसफुसाता है,
चाहे वह जिन्न हो या इंसान।
Surah An Nas in English
Starting with the name of Allah, the Most Gracious, the Most Merciful.
Say, ‘I seek refuge with the Lord of people,
The King of peoples,
The God of peoples,
From the evil of the whisperer who withdraws,
Who whispers in the hearts of people,
Among Jinns and among human beings.
सूरह अन-नास की फ़ज़ीलत
1. शैतान और बुरे वसवसों से हिफाजत: सूरह अन-नास की तिलावत से इंसान शैतान के वसवसों और उसकी बुराईयों से महफूज़ रहता है। हदीस में आता है कि नबी (ﷺ) ने फ़रमाया, “जो शख्स सूरह अल-फ़लक़ और सूरह अन-नास की तिलावत करेगा, वह अल्लाह की पनाह में रहेगा” (सुनन तिरमिज़ी, हदीस 3575)।
2. बुरी नजर से बचने का इलाज: हज़रत आयशा (रज़ि.) से रिवायत है कि जब भी रसूल अल्लाह (ﷺ) बीमार होते या कोई तकलीफ महसूस करते, तो आप मुअव्विज़तैन (सूरह अल-फ़लक़ और सूरह अन-नास) पढ़कर अपने ऊपर दम किया करते थे (सहीह अल-बुखारी, हदीस 5735)। इससे पता चलता है कि यह सूरह बुरी नजर और हर तरह की बुराई से बचने का एक असरदार इलाज है।
3. रात को सोने से पहले तिलावत की अहमियत: हज़रत आयशा (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी (ﷺ) हर रात सोने से पहले अपने हाथों पर फूंक मारते और सूरह अल-इखलास, सूरह अल-फ़लक़, और सूरह अन-नास की तिलावत करके पूरे जिस्म पर फेरते थे। यह अमल तीन बार करते थे (सहीह अल-बुखारी, हदीस 5017)। इससे हमें पता चलता है कि सोने से पहले इस सूरह की तिलावत से इंसान की हिफाजत होती है।
4. जिन्न और शैतान के हमलों से हिफाजत: सूरह अन-नास की तिलावत से जिन्न और शैतान के बुरे असरात और उनके हमलों से भी महफूज रहा जा सकता है। इस सूरह में अल्लाह से जिन्नात और इंसानों के अंदर बुरे वसवसों डालने वाले शैतानों से पनाह मांगी गई है।
मेरे प्यारे इस्लामी भाई बहनो, आज हमने सूरह अन – नास (Surah An-Nas) तर्जुमे के साथ सीखा, अगर आपको ये पोस्ट से कुछ सिखने को मिला है, तो आप इससे दूसरों को शेयर कर सवाब के हकदार बने.