Surah Nasr: In Hindi, English, Arabic Pdf With Tarjuma

Learn Recite and Understand Surah Nasr In Hindi, Roman English, Transliteration, Translation PDF.
सूरह अन-नस्र (سورة النصر) कुरान मजीद की 110वीं सूरह है, जिसमें 3 आयतें हैं। यह मदीना में नाज़िल हुई और इस्लाम के अंतिम चरण में नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के ज़माने में आई। इस सूरह में अल्लाह ने नबी (ﷺ) को इस्लाम की फतह और विजय की खबर दी, जब मक्का फतह हुआ और लोग दल-के-दल इस्लाम में दाखिल हुए। यह सूरह जीत, माफी, और अल्लाह की मदद की तरफ इशारा करती है।

Surah Nasr: In Hindi, English, Arabic Pdf With Tarjuma

Surah An-Nasr In Arabic

Surah Nasr In Hindi

Surah An-Nasr In Roman English

Bismillah Hir Rahman Nir Raheem
Iza jaaa’a nasrul-laahi walfath
Wa ra-aitan naasa yadkhuloona fee deenil laahi afwajaa
Fasabbih bihamdi rabbika wastaghfirh, innahoo kaana tawwaaba

Surah Nasr Tarjuma in Hindi

शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत (बहुत ज़्यादा)रहम करने वाला है।
ऐ रसूल जब ख़ुदा की मदद आ पहँचेगी
और फतेह (मक्का) हो जाएगी और तुम लोगों को देखोगे कि गोल के गोल ख़ुदा के दीन में दाख़िल हो रहे हैं
तो तुम अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करना और उसी से मग़फेरत की दुआ माँगना वह बेशक बड़ा माफ़ करने वाला है

Surah Nasr In English Transliteration

In the name of Allah, the Entirely Merciful, the Especially Merciful.
When the victory of Allah has come and the conquest,
entering
And you see the people into the religion of Allah in multitudes,
Then exalt [Him] with praise of your Lord and ask forgiveness of Him. Indeed, He is ever Accepting of repentance.

Benefits of Surah Nasr (सूरह अन-नस्र के फायदे)

  1. फतह और कामयाबी की खबर
    • • इस सूरह में अल्लाह ने इस्लाम की फतह और नबी-ए-करीम (ﷺ) के ज़माने में मक्का की विजय की खबर दी है। यह इस बात का इशारा है कि जब अल्लाह किसी इंसान को कामयाबी और फतह देता है, तो उसे विनम्र रहना चाहिए और अल्लाह की तारीफ और इबादत में मशगूल रहना चाहिए।
  2. अल्लाह से माफी मांगने का हुक्म
    • • इस सूरह में अल्लाह ने नबी (ﷺ) को और उनके ज़रिए हम सबको यह हिदायत दी है कि जब भी कोई बड़ी कामयाबी हासिल हो, हमें अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए। यह हमें सिखाता है कि हर विजय और कामयाबी के बाद अल्लाह से तौबा और इस्तिग़फार करना चाहिए।
    • • हज़रत इब्न अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी (ﷺ) ने जब यह सूरह सुनी, तो आप ने अपनी उम्र के अंतिम समय में ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह से माफी मांगना शुरू कर दिया। (सहीह बुखारी)
  3. विनम्रता और इबादत का पैग़ाम
    • • जब इंसान को कामयाबी मिलती है, तो उसे घमंड और तकब्बुर से बचने के लिए अल्लाह की तारीफ करनी चाहिए और उसकी इबादत में मशगूल रहना चाहिए। सूरह अन-नस्र हमें यही सिखाती है कि हर कामयाबी के बाद इबादत और विनम्रता को अपनाना चाहिए।
    • • हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) ने कहा, “जब मक्का फतह हुआ, तो नबी (ﷺ) ने अल्लाह की तारीफ करते हुए अपनी सवारी से सिर झुका लिया और अल्लाह का शुक्र अदा किया।” (सहीह मुस्लिम)
  4. तौबा और इस्तिग़फार की अहमियत
    • • इस सूरह में अल्लाह ने अपने बंदों को तौबा और इस्तिग़फार करने का हुक्म दिया है। यह हमें सिखाता है कि चाहे कोई भी हालात हों, हमें हमेशा अल्लाह से माफी मांगते रहना चाहिए। यह इंसान के गुनाहों की माफी और अल्लाह की रहमत को बुलाने का तरीका है।
    • • हज़रत अली (रज़ि.) ने कहा, “सूरह अन-नस्र का पैगाम यही है कि इंसान हमेशा अल्लाह से माफी मांगे और उसकी तारीफ करे।” (तफ़सीर इब्न कसीर)
  5. मौत की निशानी
    • • हज़रत इब्न अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है कि जब यह सूरह नाज़िल हुई, तो नबी-ए-करीम (ﷺ) को एहसास हो गया कि आपका इस दुनिया से रुखसत होने का वक्त करीब आ चुका है। इस सूरह ने नबी (ﷺ) के लिए अल्लाह से मिलन की तैयारी की खबर दी। (सहीह बुखारी)
  6. इस्लाम की व्यापकता और सफलता
    • • इस सूरह में इस बात का जिक्र है कि लोग दल-के-दल इस्लाम में दाखिल हो रहे थे। यह इस्लाम की वैश्विक सफलता और दीन की जीत का प्रतीक है। यह सूरह हमें सिखाती है कि जब अल्लाह किसी दीन को कामयाबी देता है, तो उसके पीछे अल्लाह की मर्जी और मदद होती है।
  7. अल्लाह की मदद का वादा
    • • सूरह अन-नस्र हमें यह याद दिलाती है कि हर कामयाबी और जीत अल्लाह की मदद और रहमत के ज़रिए ही आती है। इंसान को अपनी ताकत और क्षमता पर घमंड नहीं करना चाहिए, बल्कि यह मानना चाहिए कि जो कुछ भी होता है, अल्लाह की मदद और रहमत से होता है।

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