सूरह अल-हुमज़ा (سورة الهمزة – Surah Al Humazah in Hindi, Arabic, Roman English) क़ुरआन मजीद के 104वें पारे में स्थित एक छोटी मगर बहुत प्रभावशाली सूरह है। यह मक्की सूरह है, जिसका अर्थ है कि इसे पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) के मक्का में निवास के दौरान अवतरित किया गया था। इस सूरह में उन लोगों की निंदा की गई है जो दूसरों की बुराई करते हैं, मज़ाक उड़ाते हैं और अपने धन-संपत्ति के घमंड में रहते हैं।
अल्लाह तआला इस सूरह में स्पष्ट रूप से चेतावनी देते हैं कि जो लोग ग़ीबत (पीठ पीछे बुराई), चुगली और अपमान करने की बुरी आदतों में लिप्त रहते हैं, वे आखिरत में भयंकर सज़ा पाएंगे। इस सूरह में “हुतमाह” नामक जहन्नम (नरक) की आग का उल्लेख किया गया है, जो दिलों तक को जला देगी। यह दर्शाता है कि यह केवल बाहरी यातना नहीं होगी, बल्कि आत्मा और दिल के अंदर तक जलाने वाली पीड़ा होगी।
Surah Al Humazah
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत मेहरबान रहमत वाला हैं
وَيْلٌ لِكُلِّ هُمَزَةٍ لُمَزَةٍۙ ١
वैलुल्लिकुल्ली हुमज़तिल लुमज़ा।
हर उस व्यक्ति के लिए विनाश है जो लोगों की बुराई करता है और उन पर दोष लगाता है।
ٱلَّذِى جَمَعَ مَالًۭا وَعَدَّدَهُۥ ٢
अल्लज़ी जमा’आ मालं व’अद्ददह।
जो धन इकट्ठा करता है और उसे गिनता रहता है।
يَحْسَبُ أَنَّ مَالَهُۥٓ أَخْلَدَهُۥ ٣
याह्सबु अन्ना मालहू अख्लदह।
वह सोचता है कि उसका धन उसे अमर बना देगा।
كَلَّاۖ لَيُنبَذَنَّ فِى ٱلْحُطَمَةِ ٤
कल्ला; लयुंबज़न्ना फ़िल-हुतमह।
नहीं! निश्चित रूप से उसे जहन्नम में डाला जाएगा।
وَمَآ أَدْرَىٰكَ مَا ٱلْحُطَمَةُ ٥
व मा अद्राक म’ल-हुतमह।
और तुम्हें क्या मालूम कि जहन्नम क्या है?
نَارُ ٱللَّهِ ٱلْمُوقَدَةُ ٦
नारुल्लाहिल-मूक़दह।
यह अल्लाह की भड़कती हुई आग है।
ٱلَّتِى تَطَّلِعُ عَلَى ٱلْأَفْئِدَةِ ٧
अल्लती तत्तलिउ अ’लल अफ्इदह।
जो दिलों को जला देगी।
إِنَّهَا عَلَيْهِم مُّؤْصَدَةٌۭ ٨
इन्नहा अलैहिम् मूसदह।
निश्चित रूप से वह उनके ऊपर बंद कर दी जाएगी।
فِى عَمَدٍۢ مُّمَدَّدَةٍۭ ٩
फी अमदिन मुमद्ददह।
ऊँचे खंभों में बंधी हुई।
Surah Al Humazah in Arabic
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَيْلٌ لِكُلِّ هُمَزَةٍ لُمَزَةٍۙ ١
ٱلَّذِى جَمَعَ مَالًۭا وَعَدَّدَهُۥ ٢
يَحْسَبُ أَنَّ مَالَهُۥٓ أَخْلَدَهُۥ ٣
كَلَّاۖ لَيُنبَذَنَّ فِى ٱلْحُطَمَةِ ٤
وَمَآ أَدْرَىٰكَ مَا ٱلْحُطَمَةُ ٥
نَارُ ٱللَّهِ ٱلْمُوقَدَةُ ٦
ٱلَّتِى تَطَّلِعُ عَلَى ٱلْأَفْئِدَةِ ٧
إِنَّهَا عَلَيْهِم مُّؤْصَدَةٌۭ ٨
فِى عَمَدٍۢ مُّمَدَّدَةٍۭ ٩
Surah Humazah in Hindi
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
वैलुल्लिकुल्ली हुमज़तिल लुमज़ा।
अल्लज़ी जमा’आ मालं व’अद्ददह।
याह्सबु अन्ना मालहू अख्लदह।
कल्ला; लयुंबज़न्ना फ़िल-हुतमह।
व मा अद्राक म’ल-हुतमह।
नारुल्लाहिल-मूक़दह।
अल्लती तत्तलिउ अ’लल अफ्इदह।
इन्नहा अलैहिम् मूसदह।
फी अमदिन मुमद्ददह।
Surah Humazah in Roman English
Bismillahir-Rahmanir-Raheem
Wailul likulli humazatil lumazah.
Allazee jama’a maalanw wa ’addadah.
Yahsabu anna maalahooo akhladah.
Kallaa; layumbazanna fil hutamah.
Wa maa adraaka mal-hutamah.
Naarul laahil-mooqadah.
Allatee tattali’u ‘alal af’idah.
Innahaa ‘alaihim-mu’sadah.
Fee ’amadim-mumaddadah.
सूरह अल-हुमज़ा का तफ़्सीर
- निंदा करने वालों की निंदा: इस सूरह में उन लोगों की निंदा की गई है जो दूसरों का मजाक उड़ाते हैं, उनकी पीठ पीछे बुराई करते हैं और उनका अपमान करते हैं।
- धन-संपत्ति का घमंड: इसमें उन लोगों की भी आलोचना की गई है जो अपने धन पर घमंड करते हैं और यह सोचते हैं कि उनकी संपत्ति उन्हें हमेशा के लिए जीवित रखेगी।
- जहन्नम की सज़ा: अल्लाह ने ऐसे लोगों को चेतावनी दी है कि वे “हुतमाह” में जाएंगे, जो कि भड़कती हुई आग है और दिलों को जला देगी। यह इस बात का संकेत है कि यह केवल शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक यातना भी होगी।
- सज़ा का स्थायित्व: सूरह के अंत में यह बताया गया है कि यह सज़ा स्थायी होगी और उन्हें लोहे के खंभों में जकड़ दिया जाएगा, जिससे वे बाहर नहीं निकल सकेंगे।
सूरह अल-हुमज़ा का सबक
- ग़ीबत और बुराई से बचें – किसी की पीठ पीछे उसकी बुराई करना इस्लाम में एक बहुत बड़ा गुनाह है।
- धन का घमंड न करें – हमें अपने धन को अल्लाह की राह में खर्च करना चाहिए, न कि उस पर घमंड करना चाहिए।
- अख़लाक़ (चरित्र) का ख़्याल रखें – अच्छा व्यवहार, दूसरों की इज़्ज़त और सहानुभूति बहुत ज़रूरी है।
- अल्लाह की आज़ाब से डरें – यह दुनिया अस्थायी है, लेकिन आख़िरत की सज़ा स्थायी है, इसलिए अपने कर्मों का सही ध्यान रखें।
सूरह अल-हुमज़ा से संबंधित हदीस
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो अपने भाई की पीठ पीछे उसकी बुराई करता है, वह क़यामत के दिन जहन्नम की आग में होगा।” (मुस्नद अहमद)
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कहा:
“असली दौलतमंद वह है जो दिल से संतुष्ट हो, न कि वह जो अधिक धन इकट्ठा करता है।” (सहीह बुखारी)
यह सूरह हमें सिखाती है कि हमें ग़ीबत, चुगली और अहंकार जैसी बुरी आदतों से बचना चाहिए। यह भी बताया गया है कि धन-संपत्ति को घमंड और लालच के लिए नहीं, बल्कि नेक कार्यों और अल्लाह की राह में खर्च करना चाहिए। अल्लाह तआला ऐसे लोगों को कड़ी चेतावनी देते हैं कि उनका अंजाम बहुत बुरा होगा।
सूरह अल-हुमज़ा का संदेश सीधा और स्पष्ट है – अपने व्यवहार को सुधारो, दूसरों की इज़्ज़त करो और अपने माल-दौलत पर घमंड मत करो, वरना आख़िरत में गंभीर अज़ाब का सामना करना पड़ेगा।
अल्लाह हमें इस सूरह के संदेश को समझने और अमल करने की तौफ़ीक़ दे, आमीन! 🤲