Dua E Masura: In Hindi, Roman English, Urdu, Arabic Pdf. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम, अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाहि वबरकातुह, मेरे प्यारे इस्लामी भाई बहनो, दुआ ए मासूरा इस्लाम में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और मशहूर दुआ है जो नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है। इस दुआ का मूल उद्देश्य अल्लाह से मदद, रहमत, और मग़फ़िरत (माफी) की दुआ करना है। इसे अक्सर फराइज़ नमाज़ (पाँच वक्त की नमाज) के बाद पढ़ने की हिदायत दी जाती है, और यह दुआ अल्लाह से इंसान के लिए दुआएं, बरकतें और उसकी हिफाज़त की मांग करती है।आज हम दुआ ए मासुरा को तर्जुमा के साथ सीखीगे,और अल्लाह से दुआ करते हैं, हमें इसको याद करने की और समझने की तौफीक आता करे।
Dua E Masura In Arabic
اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِیْ أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ
Dua E Masura In Hindi
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़ालम्तु नफ़सी ज़ुल्मन कसीरान, वला यग़फ़िरुज़-जुनूबा इल्ला अंता,
फ़ग़्फिरली मग़्फ़िरतान मिन ‘इंदिक वरहमनी, इन्नका अंतल ग़फ़ूरुर रहीम।
दुआ ए मासुरा In Roman English
Allahumma Inni Zalamtu Nafi, Zulman Kaseeraan, Wala
Yaghfiruz-zunooba Illa Anta, Faghfirlee Maghfiratan -mmin
‘indika War Hamnee Innakaa Antal Ghafoorur Raheem
Dua E Masura In Hindi Trajuma
ऐ ख़ुदा, मैंने ख़ुद पर बहुत ज़ुल्म किया है और तेरे सिवा कोई गुनाह माफ़ नहीं करता, तो मुझे अपनी तरफ से माफ़ कर दे और मुझ पर रहम कर, तू माफ़ करने वाला, दयालु है।
Dua E Masura In English
Oh God, I have wronged myself greatly, and no one forgives sins except You, so grant me forgiveness from You and have mercy on me You are the Forgiving, the Merciful.
When to Read Dua E Masura? दुआ ए मासुरा कहाँ पढ़ें है?
नमाज की आखिरी रकअत में अत्तहियात और दुरूद ए इब्राहिम(Durood e Ibrahim) पढ़ने के बाद दुआ ए मसूरा पढ़ी जाती है।
- हज़रत अबु हुरैराह रदि अल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं: ‘रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा: “जो शख्स हर रात इस दुआ को पढ़ेगा, उसे कोई मुश्किल नहीं आएगी”।” – (सही बुखारी, किताबुल अद्ब, हदीस नंबर 5010)
- जो शख़्स दुआ ए मसुरा पढ़ता है, अल्लाह तआला उसे साल भर की हिफ़ाज़त अता फरमाता है।
- रसूलुल्लाह (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि जो कोई सुबह और शाम को दुआ-ए-मसूरा पढ़े, उसे उम्र के दिनों की बारह नाफिल इबादतों का सवाब मिलता है।
Dua e Masura Yaad Na Ho to Kya Padhe
رَبَّنَا آتِنَا فِىْ الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِىْ الآخِرَةِ حَسَنَةً
وَّقِنَا عَذَابَ النَّارِ
रब्बना आतेयना फ़िद्दुनिया हसनतउ व फील आख़िरति हसनतउ वक़ीना अजाबन्नार
Rabbana atina fid-dunya hasanatan wa fil ‘akhirati hasanatan waqina
मेरे प्यारे इस्लामी भाई बहनो, आज हमने दुआ ए मासुरा को तर्जुमे के साथ सीखा, अगर आपको ये पोस्ट से कुछ सिखने को मिला है, तो आप इससे दूसरों को शेयर कर सवाब के हकदार बने.