Surah Al Juma: In Hindi, Arabic, Roman English with Tarjuma PDF. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम, अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाहि वबरकातुह, सूरह अल-जुमा, कुरान मजीद की 62वीं सूरह है, जिसमें कुल 11 आयतें हैं। यह सूरह मदीना मुनव्वरा में नाजिल हुई और इसका प्रमुख विषय “जुमा” (शुक्रवार) और इसके महत्व पर है। इस सूरह में अल्लाह तआला ने इस्लामिक समाज के लिए जुमा की नमाज़ और उससे संबंधित आदेशों का उल्लेख किया है। सूरह का नाम “अल-जुमा” इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें जुमे की नमाज और इसके लिए तैयारी के महत्व को रेखांकित किया गया है।
Surah Juma in Arabic
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
1. يُسَبِّحُ لِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ٱلْمَلِكِ ٱلْقُدُّوسِ ٱلْعَزِيزِ ٱلْحَكِيمِ
2. هُوَ الَّذِي بَعَثَ فِي الْأُمِّيِّينَ رَسُولًا مِنْهُمْ يَتْلُو عَلَيْهِمْ آيَاتِهِ وَيُزَكِّيهِمْ وَيُعَلِّمُهُمُ الْكِتَابَ وَالْحِكْمَةَ وَإِنْ كَانُوا مِنْ قَبْلُ لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
3. وَآخَرِينَ مِنْهُمْ لَمَّا يَلْحَقُوا بِهِمْ ۚ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ
4. ذَٰلِكَ فَضْلُ اللَّهِ يُؤْتِيهِ مَنْ يَشَاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ
5. مَثَلُ الَّذِينَ حُمِّلُوا التَّوْرَاةَ ثُمَّ لَمْ يَحْمِلُوهَا كَمَثَلِ الْحِمَارِ يَحْمِلُ أَسْفَارًا ۚ بِئْسَ مَثَلُ الْقَوْمِ الَّذِينَ كَذَّبُوا بِآيَاتِ اللَّهِ ۚ وَاللَّهُ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ
6. قُلْ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ هَادُوا إِنْ زَعَمْتُمْ أَنَّكُمْ أَوْلِيَاءُ لِلَّهِ مِنْ دُونِ النَّاسِ فَتَمَنَّوُا الْمَوْتَ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ
7. وَلَا يَتَمَنَّوْنَهُ أَبَدًا بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ ۚ وَاللَّهُ عَلِيمٌ بِالظَّالِمِينَ
8. قُلْ إِنَّ الْمَوْتَ الَّذِي تَفِرُّونَ مِنْهُ فَإِنَّهُ مُلَاقِيكُمْ ۖ ثُمَّ تُرَدُّونَ إِلَىٰ عَالِمِ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ
9. يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا نُودِيَ لِلصَّلَاةِ مِنْ يَوْمِ الْجُمُعَةِ فَاسْعَوْا إِلَىٰ ذِكْرِ اللَّهِ وَذَرُوا الْبَيْعَ ۚ ذَٰلِكُمْ خَيْرٌ لَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُونَ
10. فَإِذَا قُضِيَتِ الصَّلَاةُ فَانْتَشِرُوا فِي الْأَرْضِ وَابْتَغُوا مِنْ فَضْلِ اللَّهِ وَاذْكُرُوا اللَّهَ كَثِيرًا لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
11. وَإِذَا رَأَوْا تِجَارَةً أَوْ لَهْوًا انْفَضُّوا إِلَيْهَا وَتَرَكُوكَ قَائِمًا ۚ قُلْ مَا عِنْدَ اللَّهِ خَيْرٌ مِنَ اللَّهْوِ وَمِنَ التِّجَارَةِ ۚ وَاللَّهُ خَيْرُ الرَّازِقِينَ
Surah Juma in Hindi
बिस्मिल्लाहिर रहमान निर रहीम
1. युसब्बिहु लिल्लाही मा फिल समावाति व मा फिल अर्ज़ि अल मलिकिल कुद्दूसिल अज़ीज़िल हकीम
2. हुवल लज़ी बअसा फिल उम्मिय्यीना रसूलन मिन्हुम यतलू अलैहिम आयातिहि व युज़क्कीहिम व यूअल्लिमुहुमुल किताब वल हिक्मा, व इन क़ानू मिन क़ब्लु लफी द़लालिन मुबीन
3. व आखिरीना मिन्हुम लम्मा यल्हकू बिहिम, व हुवल अज़ीज़ुल हकीम
4. ज़ालिका फज़लुल्लाहि यु’तीहि मन् यशा, वल्लाहु ज़ू फज़लिल अज़ीम
5. मसलुल्लज़ीना हुम्मिलुत तौरा-त, सुम्म लम यहमिलूहा कमसलिल हिमारि यहमिलु अस्फारा, बिअसा मसलुल कौमिल्लज़ीना कज़्ज़बू बि आयातिल्लाह, वल्लाहु ला यह्दिल कौमज़् ज़ालिमीन
6. कुल् या अय्युहल लज़ीना हादू, इन ज़अमतुम अन्नकुम औलिया-उ लिल्लाहि मिन दूनिन्नासि फ तमन्नवुल मौत इन कुंतुम सादिकीन
7. व ला यतमन्नौनहू अबदं बिमा क़द्दमत् अय्दिहिम, वल्लाहु अलीमुम बि ज़ालिमीन
8. कुल् इननल मौतल लज़ी तफिरूना मिन्हू फ इनन्हू मुलाकीकुम, सुम्मा तुर्दून इलाल ‘आलिमिल ग़ैब वश्शहादह फ युनब्बिअकुम बिमा क़न्तुम तआमिलून
9. या अय्युहल लज़ीना आमनू, इज़ा नूदीयलिस सलाती मिन यौमिल जमुअती फ अस’आव इला ज़िक्रिल्लाहि व ज़रू-अल बैआ, ज़ालिकुम खैरुल लकुम इन कुनतुम तआलमून
10. फ इज़ा क़ज़ियति अस्सलातु फनशरू फील अर्झि व इबतग़ू मिन फज़लिल्लाह, व ज़कुरू-ल्लाहा कसीरन लअल्लाकुम तुफ़लिहून
11. व इज़ा रऔ तिजारतन् औ लह्वन् इनफद्दू इलैहा व तरकूक क़ाइमन, कुल् मा इन्दल्लाहि खैरुम् मिनल लह्वि व मिनत्तिजारह, वल्लाहु खैरुर् राज़िकीन
Surah Juma in Roman English
Bismillah hir Rahman nir Raheem
1. Yusabbihu lillahi ma fis-samawati wa ma fil-ardhi, al-Malik al-Quddus al-Aziz al-Hakeem.
2. Huwal lazee ba’atha fil ummiyyeena Rasoolan minhum yatloo ‘alaihim Aayaatihee wa yuzakkeehim wa yu’allimuhumul Kitaaba wal Hikmata wa in kaanoo min qablu lafee dalaalim mubeen.
3. Wa aakhareena minhum lammaa yalhaqoo bihim wa huwal ’Azeezul Hakeem.
4. Zaalika fadlullaahi yu’teehi mai yashaaa’; wallaahu zul fadlil ’azeem.
5. Masalul lazeena hummilut-Tawraata summa lam yahmiloha kamasalil-himaari yahmilu asfaara; bi’sa masalul qawmil lazeena kazzaboo bi aayaati laah; wallaahu laa yahdil qawmaz zaalimeen.
6. Qul yaa ayyuhal lazeena haadoo in za’amtum annakum awliyaaa’u lillaahi min doonin-naasi fatamannawul mawta in kuntum saadiqeen.
7. Wa laa yatamannawnahoo abadam bimaa qaddamat aydeehim wallaahu ’aleemum bizzaalimeen.
8. Qul innal mawta lazee tafirroona minhu fainnahu mulaaqeekum summa turaddoona ilaa ‘Aalimil ghaibi wash-shahaadati fa-yunabbi’ukum bimaa kuntum ta’maloon.
9. Yaa ayyuhal lazeena aamanoo izaa noodiya lissalaati min yawmil jumu’ati fas’aw ilaa zikrillahi wa zarul bai’; zaalikum khayrul lakum in kuntum ta’lamoon.
10. Fa-izan qudiyatis-salaatu fantashiroo fil ardhi wabtaghoo min fadlillahi wazkurool laaha kaseeral la’allakum tuflihoon.
11. Wa iza ra aw tijaaratan aw lahwanfaddoo ilaihaa wa tarakooka qaa’iman; qul maa ’indal laahi khayrum minal lahwi wa minal tijaarah; wallaahu khayrur raaziqeen.
Surah Juma Tarjuma in Hindi
अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम बाला है।
1. जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है, सब अल्लाह की तस्बीह करती है, जो बादशाह, पाक, ग़ालिब, हकीम है।
2. वही है जिसने उम्मियों में एक रसूल भेजा, जो उनमें से है, जो उन्हें उसकी आयतें सुनाता है, वह पाक करता है और उन्हें किताब और हिकमत सिखाता है, जबके हमसे पहले वह खुली गुमराही में थे।
3. और उनमें से और लोगों के लिए भी जो अब तक उनसे नहीं मिले हैं। और वो ग़ालिब, हकीम है.
4. ये अल्लाह का फ़ज़ल है, जिसे चाहता है देता है, और अल्लाह बड़े फ़ज़ल वाला है।
5. उन लोगों की मिसाल जिन्हें तौरात दी गई, फिर उनहों ने उसे नहीं उठाया, उस गधे जैसी है जो किताबें लड़े हुए हों। अल्लाह की आयतों को झूठ बोलने वालों की कितनी बुरी मिसाल है, और अल्लाह जालिम लोगों को हिदायत नहीं देता।
6. कहो, ऐ याहूदियों! अगर तुम ये समझते हो के बाकी लोगों के सिवा तुम अल्लाह के दोस्त हो, तो मौत की तमन्ना करो अगर तुम सच्चे हो।
7. मगर वो कभी इसकी तमन्ना नहीं करेंगी उन अमाल के सबाब जो उनहों ने अपने हाथों से आगे भेजे हैं, और अल्लाह जालिमों को खूब जानता है।
8. कहो, वो मौत जिसे तुम भागते हो, वो तुम्हारे सामने आ कर रहेगी, फिर तुम हमें अल्लाह के पास वापस ले जाओगे, जो गायब और जाहिर का इल्म रखता है, फिर वो तुम्हें तुम्हारा अमाल बता देगा।
9. ऐ ईमान वालों! जब जुमे के दिन नमाज़ के लिए पुकारा जाए तो अल्लाह की याद की तरफ दौड़ो और ख़ैरो-फ़ारोख़त छोड़ दो, ये तुम्हारे लिए बेहतरीन है अगर तुम जानते हो।
10. फिर जब नमाज़ हो जाए, तो ज़मीन में फ़ैल जाओ और अल्लाह का फ़ज़ल तलाश करो, और अल्लाह का ज़िक्र बुहत ज़्यादा करो, ताकि तुम कामयाब हो जाओ।
11. और जब उन्हें कोई तिजारत या तमाशा दिखाई देता है तो उसकी तरफ दौड़ पड़ते हैं और तुम्हें खड़ा छोड़ देते हैं। कहो, जो अल्लाह के पास है, वो तमाशे और तिजारत से बेहतर है, और अल्लाह बेहतरीन रिज़क देने वाला है।
Surah Juma in English
In the name of Allah, the Most Gracious, the Most Merciful.
1. Whatever is in the sky and whatever is on the earth, all praise Allah, who is the King, the Pure, the Wise, the Righteous.
2. He is the one who sent a messenger among the Ummiyyan, who is among them, who recites His verses to them, purifies them and teaches them the Book and wisdom, while before that they were in open ignorance.
3. And for others among them as well who have not yet been found by them. And he is the Wise, the Wise.
4. This is the grace of Allah, He gives it to whomsoever He wishes, and Allah is the one with great grace.
5. The example of those people who were given the gift, but they did not follow it, is like the donkey that is carrying the books. What a bad example is there of those who deny the revelations of Allah, and Allah does not give punishment to the cruel people.
6. Say, you wicked people! If you think that apart from the rest of the people you are the friend of Allah, then wish for death if you are truthful.
7. But they will never wish for it because of the deeds which they have sent forward with their own hands, and Allah knows the oppressors very well.
8. Say, the death which you are fleeing from will come in front of you, then you will be returned to Allah who has knowledge of the invisible and the visible, then he will tell you about your deeds.
9. O believers! When you are called for Namaaz on Friday, run towards the remembrance of Allah and leave all shopping and selling. This is best for you if you know.
10. Then when the Namaaz is done, fall down on the earth and seek the blessings of Allah and remember Allah a lot so that you become successful.
11. And when they see some business or a spectacle, they run towards it and leave you standing. Say, whatever is with Allah is better than shows and business, and Allah is the provider of the best sustenance.
सूरह अल-जुमा हमें इस बात की याद दिलाती है कि दुनिया की तमाम व्यस्तताओं से ज्यादा अहमियत अल्लाह की इबादत और उसकी याद में है। जुमे की नमाज़ को अहमियत दी जाए और इसे अल्लाह से जुड़ने का जरिया बनाया जाए। इसके अलावा, नबी (ﷺ) की सिखाई हुई तालीमात पर चलना हर मुसलमान का फर्ज है और उसे अल्लाह की रज़ामंदी हासिल करने का एक जरिया समझना चाहिए।